Sunday, 15 June 2014

Benefits of summer fruit watermelon

 ग्रीष्म ऋतू के फल तरबूज़  के फायदे 


तरबूज़ गरमियों में खाया जाने  वाला  अत्यंत स्वादिष्ट  फल है।  इस की उत्पति दक्षिणी अफ्रीका में हुई थी।   आजकल  यह पूरी दुनिया में  उपजाया जाता है।   यह कुकुरबिटेसी (Cucubitaceae ) परिवार का लतरनुमा पौधा है।  इसका बोटैनिकल नाम Citrullus lanatus है। इसे  मतीरा  या हदवाना भी कहा जाता है।

हमारे देश में इसकी कई प्रजातियाँ पायी जाती है जैसे किरण ,वन्दना ,अपूर्वा ,सुल्तानं ,ब्लैक मैजिक ,अरका ज्योति ,अरका मानिक ,दुर्गापुर मीठा , माधुरी ६४ ,केसर इत्यादि। इसकी खेती भारतवर्ष के कई राज्यों में की जाती है। इनमें   प्रमुख है हिमाचल प्रदेश , पंजाब , उत्तर प्रदेश , कर्नाटक , केरल , तामिलनाडू ,गुजरात ,राजस्थान , महाराष्ट्र इत्यादि।

यह बाहर से हरे या पीले रंग का होता है  परन्तु अन्दर से लाल ,गुलाबी ,नारंगी ,पीले  या सफ़ेद रंग का होता है। इसका गुदा पानी (९0  %) से भरपूर और मीठा होता है। इसमें lycopene नामक करोटीनोइड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।  तरबूज़ में पाये जाने वाले अन्य महत्वपूर्ण  पदार्थ  है  अमिनो अम्ल citrulline , विटामिन ए ,  बी १ ,बी ६ ,विटामिन सी बायोटीन ,पैन्टोथेनिक एसिड ,मैग्नेशियम , ताम्बा ,सोडियम ,पोटासियम   इत्यादि।
तरबूज की फसल अधिक्तर  गर्मी के मौसम में तैयार होती है  और क्योंकि यह रसीला होता है इसलिये  यह प्यास बुझाने में मददगार होता है साथ ही ऊर्जा भी  देता है।
 इन सभी कारणों से तरबूज़ के सेवन से कई स्वास्थ सम्बंदित फायदे हो सकते है।
जैसे कि :
१  तरबूज में  प्रचुर मात्रा पाया जाने वाला lycopene   जो   की एक carotenoid  है   हृदय संबंधी समस्याओं का निदान करता है।
२ तरबूज़ के सेवन से  मानव शरीर को citrulline मिलता  है जो कि किडनी  के द्वारा एमिनो एसिड आर्जिनिन में परिवर्तित हो जाता है जिससे रक्त संचालन तथा रक्तचाप संचालित   होता है।
३ जूस के सेवन से पानी की कमी से बचा जा सकता है।
४ मोटापा कम करने में सहायक है।
५ तरबूज मे विटामिन ए ,बी ,सी तथा लौहा प्रचुर मात्रा में मिलता है ,जिससे रक्त शुद्ध औऱ सुर्ख होता है।
६  तरबूज के टुकड़ों पर  काला  नमक  एवं गोल मिर्च पाउडर डाल कर खाने से खट्टे डकारों  और सूखी खांसी  से राहत मिलती है।


तरबूज़ का सेवन रस , शर्बत  या  सलाद के रूप में किया जा सकता है।  अच्छी तरह से पक्के हुए  तरबूज़ को ठंढ़ा  कर के खाना  चाहिए।  तरबूज़ में कैलोरी  की  मात्रा अन्य फलों की तुलना में कम होती है इसलिए मोटापे का खतरा नहीं रहता है। तरबूज के बाहरी हरे गूदे को आचार या सब्जी बनाने में भी उपयोग किया जाता है।
तरबूज के बीजों में भी   औषिधीय तत्व पाये जाते है। मीठा होने  के बाबजूद इसका  सेवन मधुमेह रोगी भी कर  सकते है।  

बच्चों  के लिए संदेश है कि  वे गर्मियों के मौसम में शीतल तरबूज़  का  मजा जरूर ले. भारतवर्ष में कई  प्रकार  के   तरबूज़   पाये जाते है।  इनका आकार गोल या अण्डे के जैसा होता है और वजन एक से पांच या दस किलो  तक हो सकता है।क्योंकि बहुत बड़े तरबूज को एक बार में नहीं खाया जा सकता है  इसलिए इसे काटकर भी बेचा जाता है। आजकल कुछ ऐसी किस्मे विकसित हो गई है जिनमें छोटे  आकार के तरबूज लगते है।   तुम्हे यह जान कर आश्चर्य होगा कि जापान के किसानों ने  चौकौर  तरबूज़ विकसित करने मेँ सफलता हासिल कर ली है जिससे उन्हें आसानी से रेफ्रिजरेटर में रखा   सकता है पर मजे की बात है कि इसकी   कीमत  साधारण तरबूज़ से  दो  या चार गुना ज्यादा  है।


गोलाकार तरबूज 
 
आधा कटा हुआ तरबूज 


    मिक्स्ड फ्रूट सलाद इन वॉटरमेलन बाउल
वॉटरमेलन जूस

  
 जापान  में विकसित चौकौर  तरबूज़

छोटे आकार के तरबूज 

पीले रंग का तरबूज

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