हरमू नदी को पुन : जीवन रेखा बनाने का हम सब संकल्प लें तथा पूरे जोश और ईमानदारी से प्रयास करें।
दैनिक जागरण की मुहिम "हरमू नदी को बचाना है " काफी सराहनीय प्रयास है , इसके तह्त प्रशासनिक अधिकारियों ,बुद्धिजीवियों तथा राँची के नागरिकों ने अपने सुझाव व्यक्त किए हैँ। हरमू नदी के वर्तमान स्वरुप तथा लुप्त होते अस्तित्व के कई कारण हें। इनमे प्रमुख हैं नदी के किनारो का अतिक्रमण , कई स्रोतों से निकलते प्रदूषित पानी का सीधे नदी में मिलना और ठोस कचरे को नदी में प्रवाहित करना।
हरमू नदी जो कि आज से कुछ वर्ष पहले अपने स्वच्छ जल के लिए जानी जाती थी वह आज एक गंदे , संकरे नाले के रूप परिवर्तित हो चुकी है। उसके किनारों में हरियाली की जगह कचरों का अम्बार लगा हुआ है जहाँ से दुर्गन्ध आती है ,इसका जल प्रदूषित हो चुका है और उसमें पाये जाने वाले पौधे और जीव लुप्त होने के कगार पर हैं। हरमू नदी की इस दशा पर प्रशासन तथा राँची वासी चिंतित हैं।
राँची नगर विकास विभाग ने हरमू नदी का काया कल्प करने के लिए २७ जून २०१४ को एक कार्यशाला का आयोजन किया जिसमेँ देश भर के बुद्धिजीवी एकत्रित हुए। इस कार्यशाला के दौरान कई योजनाएँ बनाई गई और अनेक संकल्प लिए गए जिससे एक बार फिर से हरमू नदी जीवन रेखा बन सके और दोबारा गाती हुई इठला कर बह सके। इस कार्यशाला में निर्णय लिया गया कि १५ अगस्त २०१४ से मूर्तरूप से योजनाओ पर कार्य शुरू हो जाएगा।
राँची के उपायुक्त तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भी दैनिक जागरण के इस मुहिम में अपने विचार रखे है, प्रशासन को इसकी पह्ल अतिक्रमण हटा कर करनी होगी और अतिक्रमण हटाते वक्त जो मलबा पैदा होगा उसका भी समुचित प्रबंधन किया जाना चाहिए जिससे कि पानी के बहने का मार्ग प्रशस्त हो सके।
किसी भी तरह के दूषित पानी चाहे वह नालों का हो या खटालों का हो या कारख़ानों का हो नदी मेँ मिलने से पहले उसका बायोलॉजिकल तथा अन्य प्रकार का उपचार किया जाना चाहिए।
नदी के किनारों की मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए गुलमोहर , नारियल ,कटहल आदि के पेड़ लगाने चाहिए जिससे पेड़ो की जड़े मिट्टी को बांध सकें।ठोस कचरे को नदी में प्रवाहित करने पर पाबन्दी लगानी होगी। नदी के किनारों की सुरक्षा केलिए कँटीले तारों का घेरा लगाना होगा तथा किनारों को बोल्डर या पत्थरों से पक्का भी करना चाहिए। कँटीले तारों के घेरे के बाहर घास और फूलों वाले पौधे लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे नदी के किनारों का उपयोग सैर करने के लिए भी किया जा सके।
नदी के तल की समय समय पर सफाई की जानी चाहिए। प्रदुषण रहित जल में स्वत: ही जीवन का संचार होने लगेगा जलीय जीव उत्पन हो जाएंगे।
नदी के तल और किनारों की सफाई करने का यह अच्छा समय है क्योंकि वर्षा ऋतु होने के कारण वर्षा का स्वच्छ जल उपलब्ध हो सकेगा और नदी का जलस्तर वर्षा उच्चा होने लगेगा। जल का संचय करने के लिए एक एक किमी की दूरी पर छोटे छोटे बांध बनाये जा सकते है और उन स्थानों को पार्क या पिकनिक स्पॉट का स्वरुप दिया जा सकता है।
हरमू नदी को फिर से जीवित करने के इस अभियान मेँ राष्ट्रीय सेवा योजना (National Service स्कीम),स्काउट , गाइड के छात्रों का तथा अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाना चाहिए जिससे की युवा शक्ति को रचनात्मक दिशा मिल सके। यह सामुहिक प्रयास सफलता की तरफ अग्रसर क़दमों को गतिवान करेगा।
हम सभी आशा करते हैँ कि निकट भविष्य मेँ एक बार फिर से हरमू नदी गाती हुईं बलखाती हुई नदी बन जाएगी।
डा. इच्छा पूरक
यूनिवर्सिटी प्रोफेसर ( रिटायर्ड )
वनस्पति विज्ञानं विभाग ,
राँची वीमेन्स कॉलेज ,राँची