Thursday, 17 July 2014

हरमू नदी को पुन : जीवन रेखा बनाने का हम सब संकल्प लें तथा पूरे जोश और ईमानदारी से प्रयास करें।

हरमू नदी को पुन : जीवन  रेखा बनाने का हम सब संकल्प लें तथा  पूरे जोश  और ईमानदारी  से प्रयास करें। 

दैनिक जागरण की मुहिम "हरमू नदी को बचाना है " काफी सराहनीय प्रयास है , इसके तह्त प्रशासनिक  अधिकारियों ,बुद्धिजीवियों तथा राँची के नागरिकों ने अपने  सुझाव व्यक्त किए हैँ। हरमू नदी के वर्तमान स्वरुप तथा लुप्त होते अस्तित्व  के कई कारण हें।  इनमे प्रमुख हैं नदी के किनारो का अतिक्रमण , कई स्रोतों से निकलते प्रदूषित पानी का सीधे नदी में मिलना और ठोस कचरे को नदी में प्रवाहित करना। 
हरमू  नदी  जो कि आज से कुछ वर्ष पहले अपने स्वच्छ  जल  के लिए जानी जाती थी  वह आज एक गंदे , संकरे  नाले  के रूप परिवर्तित हो चुकी है। उसके किनारों में हरियाली की जगह कचरों का अम्बार लगा  हुआ है  जहाँ से दुर्गन्ध आती  है ,इसका जल प्रदूषित हो चुका है और उसमें पाये जाने वाले पौधे और जीव लुप्त होने के कगार पर हैं। हरमू नदी की इस दशा पर प्रशासन तथा राँची वासी चिंतित हैं।  
  राँची नगर विकास विभाग ने हरमू नदी का काया कल्प  करने के लिए २७ जून २०१४ को  एक कार्यशाला का आयोजन किया जिसमेँ देश भर के बुद्धिजीवी एकत्रित हुए।  इस कार्यशाला के दौरान कई योजनाएँ बनाई गई और अनेक संकल्प लिए गए जिससे एक बार फिर से हरमू नदी जीवन रेखा बन सके और दोबारा गाती हुई इठला कर बह सके। इस कार्यशाला में निर्णय लिया गया कि १५ अगस्त २०१४ से मूर्तरूप से योजनाओ पर कार्य शुरू हो जाएगा। 
राँची के उपायुक्त तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भी दैनिक जागरण के इस मुहिम में अपने विचार रखे है,  प्रशासन को इसकी पह्ल  अतिक्रमण हटा कर करनी होगी और अतिक्रमण हटाते वक्त जो मलबा पैदा होगा उसका  भी समुचित प्रबंधन किया जाना चाहिए जिससे कि पानी के बहने का मार्ग प्रशस्त हो सके। 

किसी भी तरह के दूषित पानी चाहे वह नालों का हो या खटालों का हो या  कारख़ानों का हो नदी मेँ मिलने से पहले उसका बायोलॉजिकल तथा अन्य प्रकार का उपचार किया जाना चाहिए।

नदी के किनारों की मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए गुलमोहर , नारियल ,कटहल आदि के  पेड़ लगाने चाहिए  जिससे पेड़ो की जड़े मिट्टी को बांध सकें।ठोस कचरे को नदी में प्रवाहित करने पर पाबन्दी लगानी होगी। नदी के किनारों की सुरक्षा केलिए  कँटीले तारों का घेरा लगाना होगा तथा किनारों को बोल्डर या पत्थरों से पक्का भी करना चाहिए।   कँटीले तारों के घेरे के बाहर घास और फूलों वाले पौधे लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे नदी के किनारों का उपयोग सैर करने के लिए  भी  किया जा सके। 
नदी के तल की समय  समय पर सफाई की जानी चाहिए। प्रदुषण रहित  जल में स्वत: ही जीवन का संचार होने लगेगा जलीय जीव उत्पन हो जाएंगे। 
नदी के तल और किनारों की सफाई करने का यह अच्छा समय है क्योंकि वर्षा ऋतु होने के कारण वर्षा का स्वच्छ जल उपलब्ध हो सकेगा और नदी का जलस्तर  वर्षा उच्चा होने लगेगा। जल का संचय करने के लिए एक  एक किमी  की दूरी पर छोटे छोटे बांध बनाये जा सकते है  और उन स्थानों को पार्क या पिकनिक स्पॉट का स्वरुप दिया जा सकता है।
 हरमू नदी को फिर से जीवित करने के इस अभियान मेँ  राष्ट्रीय सेवा योजना  (National Service स्कीम),स्काउट , गाइड के छात्रों का तथा अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाना चाहिए जिससे की युवा शक्ति को रचनात्मक दिशा मिल सके।  यह सामुहिक प्रयास सफलता की तरफ अग्रसर क़दमों को गतिवान करेगा। 

हम सभी आशा करते हैँ कि निकट भविष्य मेँ एक बार फिर से हरमू नदी गाती हुईं बलखाती हुई नदी बन जाएगी। 




डा. इच्छा पूरक 
यूनिवर्सिटी प्रोफेसर ( रिटायर्ड )
वनस्पति विज्ञानं विभाग ,
राँची वीमेन्स कॉलेज ,राँची 





Sunday, 15 June 2014

Benefits of summer fruit watermelon

 ग्रीष्म ऋतू के फल तरबूज़  के फायदे 


तरबूज़ गरमियों में खाया जाने  वाला  अत्यंत स्वादिष्ट  फल है।  इस की उत्पति दक्षिणी अफ्रीका में हुई थी।   आजकल  यह पूरी दुनिया में  उपजाया जाता है।   यह कुकुरबिटेसी (Cucubitaceae ) परिवार का लतरनुमा पौधा है।  इसका बोटैनिकल नाम Citrullus lanatus है। इसे  मतीरा  या हदवाना भी कहा जाता है।

हमारे देश में इसकी कई प्रजातियाँ पायी जाती है जैसे किरण ,वन्दना ,अपूर्वा ,सुल्तानं ,ब्लैक मैजिक ,अरका ज्योति ,अरका मानिक ,दुर्गापुर मीठा , माधुरी ६४ ,केसर इत्यादि। इसकी खेती भारतवर्ष के कई राज्यों में की जाती है। इनमें   प्रमुख है हिमाचल प्रदेश , पंजाब , उत्तर प्रदेश , कर्नाटक , केरल , तामिलनाडू ,गुजरात ,राजस्थान , महाराष्ट्र इत्यादि।

यह बाहर से हरे या पीले रंग का होता है  परन्तु अन्दर से लाल ,गुलाबी ,नारंगी ,पीले  या सफ़ेद रंग का होता है। इसका गुदा पानी (९0  %) से भरपूर और मीठा होता है। इसमें lycopene नामक करोटीनोइड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।  तरबूज़ में पाये जाने वाले अन्य महत्वपूर्ण  पदार्थ  है  अमिनो अम्ल citrulline , विटामिन ए ,  बी १ ,बी ६ ,विटामिन सी बायोटीन ,पैन्टोथेनिक एसिड ,मैग्नेशियम , ताम्बा ,सोडियम ,पोटासियम   इत्यादि।
तरबूज की फसल अधिक्तर  गर्मी के मौसम में तैयार होती है  और क्योंकि यह रसीला होता है इसलिये  यह प्यास बुझाने में मददगार होता है साथ ही ऊर्जा भी  देता है।
 इन सभी कारणों से तरबूज़ के सेवन से कई स्वास्थ सम्बंदित फायदे हो सकते है।
जैसे कि :
१  तरबूज में  प्रचुर मात्रा पाया जाने वाला lycopene   जो   की एक carotenoid  है   हृदय संबंधी समस्याओं का निदान करता है।
२ तरबूज़ के सेवन से  मानव शरीर को citrulline मिलता  है जो कि किडनी  के द्वारा एमिनो एसिड आर्जिनिन में परिवर्तित हो जाता है जिससे रक्त संचालन तथा रक्तचाप संचालित   होता है।
३ जूस के सेवन से पानी की कमी से बचा जा सकता है।
४ मोटापा कम करने में सहायक है।
५ तरबूज मे विटामिन ए ,बी ,सी तथा लौहा प्रचुर मात्रा में मिलता है ,जिससे रक्त शुद्ध औऱ सुर्ख होता है।
६  तरबूज के टुकड़ों पर  काला  नमक  एवं गोल मिर्च पाउडर डाल कर खाने से खट्टे डकारों  और सूखी खांसी  से राहत मिलती है।


तरबूज़ का सेवन रस , शर्बत  या  सलाद के रूप में किया जा सकता है।  अच्छी तरह से पक्के हुए  तरबूज़ को ठंढ़ा  कर के खाना  चाहिए।  तरबूज़ में कैलोरी  की  मात्रा अन्य फलों की तुलना में कम होती है इसलिए मोटापे का खतरा नहीं रहता है। तरबूज के बाहरी हरे गूदे को आचार या सब्जी बनाने में भी उपयोग किया जाता है।
तरबूज के बीजों में भी   औषिधीय तत्व पाये जाते है। मीठा होने  के बाबजूद इसका  सेवन मधुमेह रोगी भी कर  सकते है।  

बच्चों  के लिए संदेश है कि  वे गर्मियों के मौसम में शीतल तरबूज़  का  मजा जरूर ले. भारतवर्ष में कई  प्रकार  के   तरबूज़   पाये जाते है।  इनका आकार गोल या अण्डे के जैसा होता है और वजन एक से पांच या दस किलो  तक हो सकता है।क्योंकि बहुत बड़े तरबूज को एक बार में नहीं खाया जा सकता है  इसलिए इसे काटकर भी बेचा जाता है। आजकल कुछ ऐसी किस्मे विकसित हो गई है जिनमें छोटे  आकार के तरबूज लगते है।   तुम्हे यह जान कर आश्चर्य होगा कि जापान के किसानों ने  चौकौर  तरबूज़ विकसित करने मेँ सफलता हासिल कर ली है जिससे उन्हें आसानी से रेफ्रिजरेटर में रखा   सकता है पर मजे की बात है कि इसकी   कीमत  साधारण तरबूज़ से  दो  या चार गुना ज्यादा  है।


गोलाकार तरबूज 
 
आधा कटा हुआ तरबूज 


    मिक्स्ड फ्रूट सलाद इन वॉटरमेलन बाउल
वॉटरमेलन जूस

  
 जापान  में विकसित चौकौर  तरबूज़

छोटे आकार के तरबूज 

पीले रंग का तरबूज

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Wednesday, 11 June 2014

A brief introduction of Sardar Avtar Singh Azad 0n his 4th death Anniversery

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Saturday, 17 May 2014

नरेन्द्र नरेन्द्र मोदी ने हासिल की एक ऐतहासिक जीत और दर्ज किया पूर्ण बहुमत भाजपा के नाम

नरेन्द्र मोदी ने हासिल की  एक ऐतहासिक जीत और दर्ज किया पूर्ण बहुमत भाजपा के नाम

१६ मई २०१४ का दिन भारतवासियो  के लिए महत्वपूर्ण रहा   क्योंकि इस दिन का इंतज़ार सभी बेस ब्री से कर रहे थे  सवेरे  ८  बजे से मतगणना शुरू होनी थी  सभी को उत्सुकता  थी परिणाम जानने की  हालांकि मोदी लहर से  देश का बच्चा बच्चा  परिचित हो चुका  है  मेरी छह  वर्षीया पोती जो की लोरोटो कान्वेंट में स्टैण्डर्ड  १ में पढ़ती है जब सुबह मुझसे मिलने आई तो कहने लगी  आप ने टीवी  नहीं  लगाया  आज नरेन्द्र मोदी पी एम  बनने वाले है  मुझे बहुत आश्चर्य  हुआ उसके ज्ञान पर  मैने  कहा अभी लगाती हूँ  और मैने न्यूज़ ११  लगा कर देखा मतगणना में तेजी आ  चुकी थी  और परिणामों  का रुझान भाजपा  की तरफ था पुरे  दिन सभी लोग टीवी के आस पास हे रहे और संध्या  तक यह  साफ़ हो चुका था की नरेंद्र मोदी बड़ोदरा  और वाराणसी  दोनों जगहों से भरी बहुमत से विजयी  हो गए है  और भाजपा  भी पूर्ण बहुमत हासिल करने जा रही  है  रात्रि तक  तक़रीबन सभी नतीज़े आ चुके  थे भाजपा  सबसे बड़ी पार्टी के रुप  में उभर कर सामने आ चुकी  थी

नरेन्द्र  मोदी जी सभी भारत वासियों  की तरफ से शुबकामनाएं और ढेरों बधाइयाँ   और  आशा  करते है  कि  वे अपने  वायदों  को निभाने में सफल होंगे और अपना ५ वर्षीय कार्यकाल पुरा करेंगे और हर तबके के लोगो के लिए अच्छे  दिन जरूर  आएंगे  हिंदुस्तान की खुशहाली वापिस लौटेगी
Photo: Welcome to Delhi "NARENDRA BHAI MODI"

सच कहू तो आँखे पथरा गई थी इन्तजार करते करते..................

"स्वागत-वंदन-अभिनन्दन"